Posts

Showing posts from 2021
Image
 मैंने मां को कभी कुछ बिगाड़ते नहीं देखा वो संवारती हैं, सहेजती हैं, संभाल कर रखती हैं उस एक टुकड़े को भी जो घर में किसी के काम नहीं आता।। करीने से सजाकर रखती हैं  मेरे पुराने सामान को भी जिनके कुछ टूटे हिस्से न जाने अब कहां पड़े होंगे।। कभी धूप दिखाकर तो कभी बारिश से बचाकर  कभी तुरपाई से, कभी सिलाई से तो कभी हाथों की सफ़ाई से,  वो हर चीज का अस्तित्व का बरकरार रखती हैं।। चीजों को संभालने के साथ-साथ  वो हर रिश्ते को भी बखूबी बांधकर रखती हैं उम्मीद के हर आखिरी छोर तक।। मैंने मां को कभी नहीं देखा, सुबह की धूप में अलसाते हुए  आराम कुर्सी पर बैठे बरामदे में अखबार पढ़ते हुए  या सप्ताह में एक दिन छुट्टी लेते हुए।। इसके बदले वो कुछ नहीं मांगती  बस जरा से लाड़ और दुलार से खुश हो जाती हैं जैसे किसी बच्चे को मिल गया हो आसमान का चंदा थाली में सजा हुआ।।