एक सवाल?

मुझे लिखना पसंद है या यू कहूं मुझे लिखने से मोहब्बत है। मैं हर दफा कुछ नया लिखने की कोशिश करती हूं, कुछ ऐसा जो मेरी ही लेखनी को चुनौती दे सके और मेरे अन्दर छुपे एक कलाकार को जन्म दे सके। पेशे से मैं एक राइटर हूं, पर सच कहूं तो मैं आज भी खुदको एक राइटर कहने से कतराती हूं। और शायद तब तक कतराती रहूगीं जब तक मेरे लिखे हुए अल्फाज़ लोगो के दिल को छूते हुए उनकी जुबां पर आकर ,ये कहते हुए न ठहर जाए कि वाह क्या खूब लिखा है ! मुझे अक्सर इस सवाल से होकर गुजरना पड़ता है कि मैं क्यूं लिखती हूं? मेरी कहानियां, मेरी कविताएं और मेरी लिखी हुई शायरियां अक्सर मुझे सवालों के घेरे में डाल देती हैं। मैं जब मोहब्बत पर लिखती हूं तो लोग एक तंज कसते हैं कि मै इश्क कर बैठी हूं, और एक आशिकाना किस्म की शायरा बन गयी हूं। जबकि मैं अपने किसी लगाव को नहीं, अपनी नजरों के सामने हो रहे प्यार के अभाव को लिखती हूं। अगर जिंदगी पर लिखूं तो जमाने की नजरे इस कदर देखती हैं कि जाने जिंदगी मुझ पर कितने सितम कर बैठी है, और मैं दुनिया से बेतहाश होकर बेबस हो गयी हूं। ...